
पंकज पाण्डेय
समस्तीपुर। बिहार में कथित सुशासन की सरकार में पुल निर्माण के बाद पहुँच पथ के लिए अपनी जीवकोपार्जन का एकमात्र आधार अपनी कृषि भूमि सरकार को दे चुके 40 परिवार पिछले चार वर्षो से मुआवजा के लिए सरकारी बाबुओं से फरियाद कर करके हार मानने के बाद परिवार सहित सामूहिक आत्महत्या करने का निर्णय लिया है।
मिली जानकारी के अनुसार रोसड़ा अनुमण्डल के शिवाजीनगर प्रखण्ड के कांकर घाट पर दिसम्बर 2013 में दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर को जोड़ने वाला उच्च स्तरीय आरसीसी पुल बनकर तैयार हुआ। पुल बनने के बाद किसान श्यामबाबू यादव, लालबाबू यादव, सुशील कुमार यादव, फुलबाबु यादव, अरविन्द यादव, भिखारी राय, ललन राय, राम ललित राय, अनुज यादव, सेवालाल राय आदि जैसे चालीस लोगों से सरकार ने पहुँच पथ के लिए 6 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया।
इन सभी ने क्षेत्र के विकास और लोगों को सहूलियत हो यह सोचकर अपना कीमती जमीन देकर सहयोग किया था। पुल निर्माण के सवा चार साल बीत जाने के बावजूद न तो पुल का मेंटनेंस हो पा रहा है और न संवेदक आए और न ही चालीस किसानों को भूमि के एवज में आजतक मुआवजा मिला।
मेन्टेन्स के आभाव में धीरे-धीरे जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुच गया यह पुल और भुगतान के लिए चक्कर लगाते किसान अपनी व्यथा सुना रहे है पर इनकी व्यथा सुननेवाला कोई नहीं है। एक ओर भूमिदाता किसान अपने भुगतान के लिए पिछले चार वर्षों से ऑफिस-दर-ऑफिस चक्कर लगा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पहुँच पथ पर मेंटनेंस के आभाव में कई जगह चार से पाँच फीट की दुरी में पाँच से सात फीट गहरी खाई में तब्दील हो गई है। जिसमे पिछले डेढ़ साल में कई लोग गिरकर अपनी हड्डी-पसली तुड़वा चुके है तो कई असमय ही भगवान को प्यारे हो गए।
इस बात को लेकर रहियार उत्तर पंचायत के मुखिया उदय सहनी, रहियार दक्षिण पंचायत के मुखिया प्रदीप कुमार महतो के नेतृत्व में सेकड़ों लोग कई बार आंदोलन किए। सड़क जाम की। इनके आंदोलन के समय प्रशासन के आला अधिकारी पहुँचे। पर सबों ने सिवा कोरा आश्वासन के कुछ नहीं किया।
वर्षों से ठगे जा रहे भूमिदाताओं का आज रविवार को सब्र का बांध टूट गया। सैकड़ों की संख्या में डॉ सुशील कुमार यादव के नेतृत्व में इकट्ठे होकर पुल पर पहुँचे और मुआवजा नहीं मिलने से आक्रोशित होकर नारेबाजी करते हुए सड़क जाम कर दिया। रहियार उत्तर पंचायत के मुखिया प्रदीप कुमार महतो उन्हें समझाने पहुँचे। लोगों ने उनकी भी नहीं सुनी। उन्हें भी खड़ी-खोटी सुनाई।
बाद में मुखिया और स्थानीय लोगों के समझाने पर उन्होंने मुखिया के माध्यम से रोसड़ा के अनुमंडलाधिकारी के नाम एक आवेदन पत्र दिया। जिसकी प्रतिलिपि रोसड़ा के डीएसपी, समस्तीपुर के जिलाधिकारी, भूअर्जन अधिकारी, बिहार पुल निगम, पटना और मुख्यमंत्री बिहार के नाम से देते हुए सरकार को चेतावनी दी है की अगर उन्हें आज से 30 दिन के भीतर अगर उन्हें जमीन के एवज में भुगतान नहीं मिलेगा तो सभी भूमिदाता 40 किसान अपने परिवार के साथ इसी पुल पर आत्महत्या कर लेंगे और इसकी जिम्मेदारी सरकार और स्थानीय प्रशासन पर होगी।
इस सम्बन्ध में रहियार उत्तर पंचायत के मुखिया प्रदीप कुमार महतो ने बताया कि मैंने ग्रामीणों के साथ मिलकर मुआवजा के लिए स्थानीय प्रशासन से लेकर ऊपर पुल निर्माण निगम तक से कई बार बात की। अधिकारी आए भी सभी से मिले। उन्हें आश्वासन दिया पर भुगतान नहीं मिला। पुल निर्माण निगम का कहना है की एक करोड़ 84 लाख भू अर्जन अधिकारी को भेज दिया गया है। पर सवा चार वर्ष बीत जाने के बाद भी इन्हें अब तक भुगतान नहीं मिला है। सभी भूमिदाता का एकमात्र जीविका का आधार इनकी यह जमीन ही थी। इन किसानों में किसी को अपनी बेटी का विवाह करना है तो किसी को इन पैसों से जीविका का साधन ढूँढना है।