जुल्फेकार…
राजस्थान। अजमेर के कोटड़ा क्षेत्र की राधा विहार कॉलोनी में रहने वाली श्रीमती अंजू गर्ग जब अपने मकान के पोर्च में झाडूं लगा रही थी, तभी एक 20-22 वर्ष का युवक आया और कार्ड दिखा कर किसी का पता जानना चाहा।
अंजू ने कहा भी कि मैं नहीं जानती हूं लेकिन यह युवक अंजू के और निकट आ गया। पलक झपकते ही युवक ने अंजू के गले की सोने की चैन तोड़ दी। तभी अंजू के पति अरविन्द गर्ग बाहर आए और युवक को पकडऩे की कोशिश की। अरविन्द और युवक के बीच हाथापाई भी हुई और युवक स्वयं को छुड़ा कर भाग गया। कुछ ही दूर पर एक दूसरा युवक मोटर साइकिल लेकर खड़ा था।

इस वारदात में युवक का स्वेटर, टोपी, चश्मा आदि सामान मौके पर ही रह गए। दोनों युवक पल्सर मोटरसाइकिल पर बैठ कर भाग निकले। चार फरवरी को भी पुष्कर के महेश्वरी सेवा सदन में विवाह समारोह में जेवरात चोरी, अलवर गेट इलाके में सूने मकान से 4 लाख रूपये के जेवरात-नकदी, कोतवाली क्षेत्र में नकली नोट थमा कर 50 हजार रुपए की ठगी, फॉयसागर रोड स्थित हिना गार्डन में चोरी आदि की वारदातें अब रोजाना अजमेर में हो रही है।
दिन-दहाड़े होने वाली इन वारदातों से जाहिर है कि चोर-उचक्के अजमेर पुलिस पर भारी पड़ रहे हैं। पुलिस के अधिकारी माने या नहीं, लेकिन चोर-उचक्कों में पुलिस का कोई डर नहीं है। उलटे अपराध की ऐसी वारदातों से आम आदमी भयभीत है। अब तक तो राह चलती महिला के गले से चैन छिनी जाती थी, लेकिन 5 फरवरी को तो घर में घुस कर सोने की चैन तोड़ी गई।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बदमाशों के हौंसले कितने बुलंद है। अजमेर पुलिस अपराधों को रोकने के लिए कितनी मुस्तैद है, यह तो मुझे नहीं पता, लेकिन इतना जरूर है कि सरकार ने अजमेर के एसपी डॉ. नितिनदीप ब्लग्गन को पदोन्नत कर डीआईजी बना दिया है। ब्लग्गन को डीआईजी बने कोई 20 दिन हो गए, लेकिन सरकार ने अभी तक भी ब्लग्गन को अजमेर में ही एसपी बना रखा है।

ब्लग्गन रोजाना डीआईजी के पद पर नियुक्ति के सरकारी आदेश का इंतजार कर रहे हैं। सब जानते हैं कि जब किसी अधिकारी की पदोन्नित हो जाती है तो वह एक दिन भी छोटे और पुराने पद पर काम करना नहीं चाहता है। सरकार को चाहिए कि अजमेर में जल्द से जल्द एसपी की नई नियुक्ति की जाए। शायद ही कोई थानाधिकारी होगा जो अपने इलाके में चोरी-चकारी करवाता हो।
यह माना कि संबंधित क्षेत्र के पुलिस वालें ही आंखें बंद कर, जुआ-सट्टा, अवैध शराब बिक्री आदि के अपराध होते रहते हैं। लेकिन चोरी, चैन स्नेचिंग आदि की छृूट कोई भी थानाधिकारी नहीं देगा। लेकिन चोर-उचक्कों में पुलिस का डर नहीं है, यह बात साफ लग रही है। दबी जुबान से पुलिस वालों का कहना है कि कड़ी मशक्कत के बाद चोर-उचक्कों को पकड़ लिया जाता है तो वह थोड़े दिन के बाद जमानत पर जेल से बाहर आ जाते हैं।
जो अपराधी जितनी जल्दी जेल से बाहर आता है, वह उतनी ही ज्यादा वारदातें करता है। आबादी के मुकाबले पुलिसकर्मियों की संख्या भी बेहद कम है। पुलिस की अपनी समस्या हो सकती है, लेकिन फिलहाल अजमेर में चोर-उचक्कों की मौज हो गई है।