शत्रुंजय सिंह रैकवार की रिपोर्ट,
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। भगवान बुद्ध, महावीर, कबीर के धरती पर करोना संक्रमण के बहाने ही सही लोगों में करुणा उभरकर सामने आई है। सूबे के बहुत सारे नौकरशाह व आम जनों ने जिस दरियादिली के साथ संवेदना दिखाई है, उस करूणा की अब मिसालें दी जाने लगी है। प्रदेश के कई ऐसे चेहरे है जो खुद तो भूखे रहे पर लोगों का पेट भरने में जुटे रहे। वे लोग जनता की सहूलियत के खातिर कई रातों की नींदें गंवाई, लेकिन उन्हें उनके मंजिल तक सकुशल पहुंचाई। आज के युवा उन्हें अपना आईकॉन मानने लगे लगे हैं।
इस क्रम नाम आता है, हापुड़ की जिलाधिकारी अदिति सिंह का जो कोरोना वायरस से जनपद वासियों को और प्रवासी मजदूरों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास में लगी हुई हैं।
दिल्ली के समीपवर्ती जिला होने के कारण जिम्मेदारियां बहुत है। जनपद में कोरोना संक्रमण को रोकने के और परीक्षण के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगा रखीं हैं। डीएम ने सख्त लहजे में भी कहा है, कि यदि स्वास्थ्य परीक्षण में लगी हुई टीमों और प्रवासियों मजदुरो के साथ किसी भी तरह का अभद्रता किया गया तो ऐसे लोगो के खिलाफ रासुका के तहत करवाई की जाएगी।
बीते दिनों हापुड़ में पोर्टल पर शिकायतों का समाधान करने में प्रदेश में पहला स्थान रहा। प्रदेश के राजधानी लखनऊ स्थित इंदिरा नगर निवासी कालिंदी तिवारी द्वारा पूरे लाक डाउन के दौरान बाहर से आने वाले अप्रवासी लोगों के लिए रोजाना पॉलिटेक्निक चौराहे पर खाद्यान्न चाय और नाश्ते की व्यवस्था की गई। उनका कहना है कि देश की जनता परेशान हो तो ऐसे में आराम कैसे कर सकते हैं।
लॉकडाउन के दौरान पूर्वांचल के लगभग एक दर्जन जिलों के पांच लाख से अधिक प्रवासी मजदूर साढ़े चार सौ श्रमिक स्पेशल ट्रेनो से आये, जिन्हें गोरखपुर जिला प्रशासन और जीआरपी के कर्मचारियों ने उन्हें बसों द्वारा सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचाया। गोरखपुर आने वाले ट्रेनों से आने वाले भीड़ देख कर वहां लगे कर्मचारी कभी-कभी घबरा जाते थे। लेकिन एसपी जीआरपी पुष्पांजलि देवी द्वारा अपने देख देख में भोजन पानी देकर उन्हें उनके गंतव्य तक रवाना किया जाता था।
पुष्पांजलि देवी का कहना है कि गोरखपुर अनुभाग के दस स्टेशनों पर पहुंचने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेनो से आने वाले मजदूरों की सेवाभाव और उनकी देखरेख के लिए चौबीस घंटे जीआरपी मौजूद रहीं। गोरखपुर नगर निगम के पार्षद आलोक विषेन का कहना है, कि जीआरपी के अधिकारियों व कर्मचारियों के सेवा भाव की तारीफ होनी चाहिएं। जिससे दुसरो में सेवा भाव ललक जगेगी।
लॉक डाउन के दौरान परदेश में रह रहे बहुतेरे लोगों ने अपने घरों के लिए सैकड़ों किलोमीटर पैदल ही चल पड़े, रास्ते में उनकी परेशानी देख बस्ती जिले के सीडीओ सरनीत कौर ब्रोका द्वारा बकायदे राष्ट्रीय राजमार्ग से आने जाने वालों के लिए पुरे मनोयोग से भोजन, पानी की व्यवस्था करना पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना रहा हैं।
कौर का कहना है कि अपने परिवारिक दायित्वों के साथ ही साथ इंसानो के दायित्वों का निर्वहन करना ही सच्चा धर्म और कर्म है।
वैसे तो इस दौर में बहुतेरे लोग इंसानियत की मिसाल स्थापित करते नजर आ रहे हैं। लेकिन बिते दिनों आसमान से सड़क पर बरस रहे अंगरो से वे प्रवाह सहजनवा, गोरखपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर तपती धूप में एक लड़की अपने मंजिल पर नजरें गड़ाए नंगे पांव चलीं जा रही थी।
तभी वहां मौजूद अनुज मालिक एसडीएम ने अपने करूणा को रोक नहीं पाई और उन्होंने खुद चप्पल खरीद कर मंगाई, और अपने हाथ से उसे चप्पल पहनाई। साथ ही साथ रास्ते में खाने के सभी राहगीरों के साथ उसे भी खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया।
गोरखपुर जिले की मुख्य विकास अधिकारी हर्षिता माथुर द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में दूसरे शहरों से आए लोगों को क्वारंटीन करवाना, उनकी मेडिकल जांच की व्यवस्था करवाने के साथ खाने-पीने का बखूबी ध्यान रखा जा रहा हैं।
उनके द्वारा गरीब और आर्थिक, सामाजिक रूप से पिछड़े गांव जिनमें मुसहर और वनटांगिया रहते हैं, उन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा बाहर से आए मजदूरों के लिए अभियान चला कर जाब कार्ड बनवाया जा रहा है। और उनके जाब की व्यवस्था किया जा रहा है। जर्नलिस्ट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रियेश कुमार शुक्ला का कहना है कि देखा जाए तो इस कोरोना काल में दुनिया समाज को एक नये सिरे से स्थापित किया है।
अब विकास के सभ्यता के साथ ही साथ करूणा बहुत जरूरी है। ट्रस्ट बहुत ही जल्द अच्छे कार्य करने वालों को सम्मानित करेंगी।