बेताब अहमद के विचार,
नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी हत्या 30 जनवरी 1948 दिल्ली में कर दी थी. नाथूराम गोडसे ने ग्वालियर में रहकर हत्या के लिए जरूरी सामान जुटाया और यहीं पर पिस्टल चलाने की प्रैक्टिस की थी. दरअसल महात्मा गांधी की हत्या की साजिश के तहत 20 जनवरी 1948 में की गई कोशिश में नाकाम रहने के बाद नाथूराम गोडसे भाग कर ग्वालियर आ गया था.
इस बार उसने अपने साथियों की जगह खुद ही बापू को मारने का इरादा कर लिया था. इसके लिए उसने शहर में हिंदू संगठन चला रहे डॉ. डीएस परचुरे के सहयोग से अच्छी पिस्टल की तलाश शुरू की. ग्वालियर से पिस्टल खरीदने की वजह यह थी कि सिंधिया रियासत में हथियार के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती थी. वहीं परचुरे के परिचित गंगाधर दंडवते ने जगदीश गोयल की पिस्टल का सौदा नाथूराम से 500 रुपए में कराया था. इसी पिस्टल से नाथूराम ने 30 जनवरी 1948 को गांधी जी की हत्या कर दी थी, पिस्टल ग्वालियर के खरीदी गई थी, और 10 दिन ग्वालियर में रहकर गोडसे और उसके सहयोगियों ने हत्या की तैयारी की थी.
सिंधिया सेना के अफसर लाए थे इटालियन पिस्टल…
1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ग्वालियर की एक सैनिक टुकड़ी कमांडर ले.ज.वीबी जोशी की कमान में अबीसीनिया में मोर्चे पर तैनात की गई थी. मुसोलिनी की सेना के एक दस्ते ने इस टुकड़ी के सामने हथियारों समेत समर्पण कर दिया था. इन्हीं हथियारों में इटालियन दस्ते के अफसर का 1934 में बनी 9एमएम बरेटा पिस्टल भी थी. इसे खुद लेज जोशी ने अपने पास रख लिया था. बाद में इसे जगदीश गोयल ने लेज जोशी के वारिसों से खरीद लिया था. इस बरेटा पिस्टल और गोलियां खरीदकर नाथूराम गोडसे अपने साथी आप्टे के साथ दादर-अमृतसर पठानकोट एक्प्रेस में बैठ कर दिल्ली रवाना हो गए थे.
ऐसे की थी बापू की हत्या:
इसके बाद 30 जनवरी 1948 की शाम 5 बजे बापू प्रार्थना सभा के लिए निकले थे. इस दौरान तनु और आभा उनके साथ थीं. उस दिन प्रार्थना में ज्यादा भीड़ थी. फौजी कपड़ों में नाथूराम गोडसे अपने साथियों करकरे और आप्टे के साथ भीड़ में घुलमिल गया. बापू आभा और तनु के कंधों पर हाथ रखे हुए थे. यहां गोडसे ने तनु और आभा को बापू के पैर छूने के बहाने एक तरफ किया, और बापू के पैर छूते-छूते पिस्टल निकाल ली और दनादन बापू पर गोलियां दाग दीं.
गोलियां लगते ही हे राम….कहते हुए बापू नीचे गिर गए और इस प्रकार मुसोलिनी की सेना की पिस्टल ने महात्मा गांधी की जान ले ली. गोली चलते ही प्रार्थना सभा में भगदड़ मच गई. गोडसे ने नारे लगाए और खुद ही चिल्ला कर पुलिस को बुलाया. इस दौरान वहां मौजूद लोग तो क्या खुद पुलिस ने भी नाथूराम गोडसे को तब गिरफ्तार किया, जब उसने खुद ही पिस्टल नीचे गिरा दी.