
संतोष राज
पटना। अपने टास्क से विद्यार्थियों को डराने वाले मास्टर साहब अब बिहार सरकार से मिले टास्क को लेकर परेशान दिख रहे हैं। बिहार सरकार उन्हें लोगों को खुले में शौच करने से रोकने और उनकी निगरानी करने का टास्क जो दिया है।
बिहार सरकार ने स्कूली शिक्षकों के लिये अब एक और नया आदेश जारी किया है जिसके आधार पर अब शिक्षकों को खुले में शौच कर रहे लोगों पर नजर रखनी होगी। ऐसे लोगों को देखते ही तस्वीर खींचने को कहा गया है। अर्थात अब सरकार ने उन्हें लोटे की निगरानी का जिम्मा दिया है।
मंगलवार को राज्य के सभी प्रखण्डों के बीईओ की तरफ से शिक्षकों को जारी आदेश के अनुसार अब हाईस्कूल के शिक्षक खुले में शौच करने वालों को न केवल रोकेंगे, बल्कि उनकी निगरानी भी करेंगे। शिक्षकों को जहाँ निगरानी की जिम्मेदारी के लिए पत्र भेजा गया है, वहीं प्रधानाध्यापकों को शौचालय निगरानी का पर्यवेक्षक बनाया गया है।
बीईओ द्वारा जारी आदेश के मुताबिक शिक्षक सुबह-शाम अलग-अलग समय पर खुले में शौच करने वालों की निगरानी करेंगे।शिक्षक सुबह 5 बजे और शाम 4 बजे रोजाना खुले में शौच करने वालों का निरीक्षण करेंगे।
बता दें कि शिक्षकों को दी गई इस नई जिम्मेवारी के पहले ही पढाई के अलावा रसोइया, खजांची, गणनक, बीएलओ जैसे ढेरों काम भी बिहार के शिक्षकों को मिला हुआ है।
माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव ने सरकार के इस फैसले पर नाराजगी व्यक्त किया है। महासचिव शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शौच अभियान में शिक्षकों को शामिल करना पागलपन है और शिक्षकों के पद का अपमान है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार अपने घिनौने फरमान को अविलंब वापस लें क्योंकि हम शिक्षकों को ये काम कभी नहीं करने देंगे। शिक्षक संघ आज फरमान को वापस लेने के लिए सीएम को पत्र लिखेंगे।