नव वर्ष के अपनें पहले टुईट में ट्रंप नें पाकिस्तान को लिया निशाने पर

शबाब ख़ान (वरिष्ठ पत्रकार)
दुनिया डेस्क: नव वर्ष की शुरुअात के साथ ही पाकिस्तान की मुसिबते बढ़ती नजर आ रही है। 2018 के अपनें पहले टुईट में अमेरिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नें पाकिस्तान को हाशिये पर लेते हुये लिखा कि “अरबों डॉलर की अमेरिकन सहायता लेने के बावजूद पाक झूठ और धोखेबाजी से बाज नही आ रहा है।”
डोनाल्ड ट्रंप नें आगे लिखा कि “अमेरीका बेवकूफों की तरह पाकिस्तान को पिछले 15 सालों में 33 अरब डालर की सहायता दे चुका है, और बदले में वह हमें झूठ और धोखा देता रहा है, यह सोचकर की अमेरिकन नेता मूर्ख हैं। जिन आंतकियों को हम अफगानिस्तान में ढूंढते रहते है पाकिस्तान उन्हे अपनें यहाँ आश्रय देता रहा है।”
The United States has foolishly given Pakistan more than 33 billion dollars in aid over the last 15 years, and they have given us nothing but lies & deceit, thinking of our leaders as fools. They give safe haven to the terrorists we hunt in Afghanistan, with little help. No more!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) January 1, 2018
यह फिलहाल स्पष्ट नही है कि अाखिर ट्रंप के दिमाग में पाकिस्तान को लेकर ऐसा क्या चल रहा था कि उन्होने नव वर्ष की अपनी पहली टुईट में उसे निशाने लिया। लेकिन पाकिस्तान को ट्रंप की यह चेतावनी उस सूचना के बाद आयी जो ट्रंप के प्रशासन नें लीक कर दिया था, सूचना के अनुसार अमरीका पाकिस्तान को मिलने वाली 225 करोड़ डॉलर की सहायता पर तब तक रोक लगाने की तैयारी में है जब तक पाकिस्तान गंभीरता से उन आंतकियों के सफाये में उसकी मदद नही करता जिसको वह खुलकर प्रायोजित करता है, जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी उसको मिलने वाली आर्थिक सहायता में कमी करनें के पक्ष में हैं।
अांतकवाद को लेकर पाक की गंभीरता इसी घटना से पता चलती है जिसमें विश्व नें देखा कि संयुक्त राष्ट्र और अमरीका की वॉटेड लिस्ट में मौजुद आंतकी हाफिज सईद को पाक मुख्य धारा में लाने की कोशिश में है ताकि सईद का पाकिस्तान में चुनाव लड़नें का रास्ता साफ हो सके।
पाकिस्तान जाहिरी तौर पर मानता है कि राजनीतिक और चुनावी वैधता सईद को दे देने से वह आतंकवाद के कलंक को मिटा देगा, लेकिन ट्रम्प प्रशासन ने इस तरह के कदम के बारे में चेतावनी दी है, जिसमें कहा गया है कि वह संयुक्त राष्ट्र का नामित आतंकवादी है और उसके सर पर ईनाम है।
इस क्षेत्र से निपटने वाले अमेरिकी अधिकारी अगले कुछ दिनों में ऐसे देश के खिलाफ दंडात्मक कदमों को अंतिम रूप देने की उम्मीद कर रहे हैं जो इस क्षेत्र में आतंकवाद को समर्थन देने के वाले पाकिस्तान के लिये जरूरी है। ट्रम्प प्रशासन से बढ़ते दबाव के बावजूद, पाकिस्तान निराश नही दिख रहा है, उसे उम्मीद है कि चीन और सऊदी अरब जैसे उसके संरक्षक देशों की राजधानी में बैठे राजनेता और जनरल समय आने पर उसे अार्थिक सहायता और मदद देकर उसे अमरीकी क्रोध से बचायेगें।
“हम राष्ट्रपति ट्रम्प के ट्वीट का शीघ्र ही जवाब देंगे … दुनिया को सच्चाई पता चल पाएगी … तथ्यों और कल्पनाओं के बीच अंतर …” पाकिस्तानी विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने ट्विट किया, जिससे विदेश नीति में उत्साहजनक चर्चा की शुरुआत टुईटर पर शुरु हो गयी।
We will respond to President Trump's tweet shortly inshallah…Will let the world know the truth..difference between facts & fiction..
— Khawaja M. Asif (@KhawajaMAsif) January 1, 2018
उधर पाक सेना और उसके विदेश नीति के जानकार अपना वही पुराना राग अलापने में लग गये है जिसमें उनका एक ही तर्क होता है कि पाकिस्तान ने अमरीका की आंतकवाद को जड़ से मिटाने की कोशिश में साथ देने के लिए बहुत कुर्बानी दी है, जिसकी जिम्मेदारी ट्रंप नही लेना चाहते।
“आंतकवाद को खत्म करनें के लिए जितना पाकिस्तान नें किया है उतना कोई नही कर सकता, हमारे उपर आरोप लगानें के बजाये ट्रंप को अपनी अफगानिस्तान नीतियों पर फिर से विचार करनें की जरूरत है। हमने विश्व से आंतकवाद को मिटाने के लिए जितना हो सकता था उतना किया। अब विश्व को चाहिए कि इस खतरे से निपटनेे के लिए कुछ और करें, न कि एक-दूसरे पर अारोप लगाने का खेल खेले।” पाक के जाने माने सुरक्षा विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल शुएब अमजद नें एक टुईट में कहा।
https://twitter.com/GenAmjadShoaib/status/947822921430589440
पाकिस्तान नए साल के दिन ट्रम्प के निशाने पर एकमात्र देश नहीं था; पाकिस्तान पर टुईट के आधे घंटे बाद, ट्रम्प ने ईरान पर लक्ष्य बनाकर लिखा कि, “ईरान ओबामा प्रशासन द्वारा उनके साथ किए गए भयानक सौदे के बावजूद हर स्तर पर असफल रहा है। महान ईरानी लोगों का कई वर्षों से दमन किया गया है। वे भोजन और स्वतंत्रता के लिए परेशान हैं। मानव अधिकारों के हनन के साथ, ईरान का धन भी लूटा गया। अब बदलाव का समय है,” उन्होंने ट्वीट किया।
Iran is failing at every level despite the terrible deal made with them by the Obama Administration. The great Iranian people have been repressed for many years. They are hungry for food & for freedom. Along with human rights, the wealth of Iran is being looted. TIME FOR CHANGE!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) January 1, 2018
विशेषज्ञों का मानना है कि वाशिंगटन एक ही समय में पाकिस्तान और ईरान दोनों को विरोधाभासी तौर पर नही ले सकता है, उसे देशों से घिरे अफगानिस्तान तक पहुंचने के लिए बंदरगाहों की जरूरत है। यद्यपि आपूर्ति लाइनें खुली रखने के लिए एक उत्तरी भूमि मार्ग है, मगर यह महंगा और कठिन माना जाता है। लेकिन कम से कम ईरान के मामले में, ट्रम्प ने उनके लोगों के लिए प्रशंसात्मक बात कही।