नई दिल्ली. अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी के दो सांसदों ने कहा है कि भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर बाइडेन प्रशासन को मोदी सरकार से बात करनी चाहिए। फॉरेन रिलेशन कमेटी के अध्यक्ष बॉब मेनेंडेज और मैजॉरिटी लीडर चार्ल्स शूमर ने विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन को लिखा है कि हम 26 जनवरी को लालकिले पर हुई हिंसा की निंदा करते हैं। हालांकि कृषि सुधार को ध्यान में रखकर लाए गए कानून भारत का आंतरिक मसला है।
बोलने की आजादी की अहमियत का मुद्दा उठाएं
अपनी चिट्ठी में सांसदों ने ब्लिंकन से अपील है कि वे अपने भारतीय काउंटरपार्ट के सामने बोलने की आजादी और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकारों की अहमियत का मुद्दा उठाएं और स्टेट डिपार्टमेंट के अधिकारी भी ऐसा ही करें। उन्होंने लिखा कि हम भारत के आतंरिक मामलों पर कोई स्टैंड नहीं लेते हैं, लेकिन हम 26 जनवरी को हुई हिंसा की निंदा करते हैं। हम जानते हैं कि नई दिल्ली में लाल किले पर हिंसा में शामिल प्रदर्शनकारियों की संख्या सीमित थी। आंदोलन कर रहे नेताओं ने तुरंत ही हिंसा की निंदा की और शांतिपूर्ण तरीके से अपने प्रदर्शन को बढ़ाया।
शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए हल निकले
शूमर और मेनेंडेज ने अपने साझा खत को गुरुवार को मीडिया में जारी किया। उन्होंने कहा कि भारत की जनता और सरकार इन कानून पर आगे की रणनीति तय करेगी। मामले का समाधान शांतिपूर्ण बातचीत और आंदोलन कर रहे किसानों के सम्मान के जरिए निकाला जाएगा।
अमेरिका ने किया था कानूनों का समर्थन
इससे पहले अमेरिका ने फरवरी में कानूनों का समर्थन करते हुए कहा था कि हम हर उस कदम का समर्थन करते हैं, जो इंडियन मार्केट के प्रभाव को बढ़ाए और प्राइवेट सेक्टर के निवेश को बढ़ावा दे।
ब्रिटेन की संसद में गूंजा था किसानों का मुद्दा
वहीं, ब्रिटेन की संसद में किसान आंदोलन का मुद्दा गूंजा था। UK ने दोहराया था कि कृषि सुधार कानून भारत का घरेलू मामला है और लोकतंत्र में सुरक्षा बलों को कानून-व्यवस्था लागू करने का अधिकार है। दरअसल, ब्रिटिश संसद के वेस्टमिंस्टर हाल में हुई इस चर्चा में 18 ब्रिटिश सांसदों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से 17 ने आंदोलन का भी समर्थन किया। लेबर पार्टी ने इस चर्चा की मांग की थी। भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे एक लोकतांत्रिक देश के अंदरूनी मामले में