जब बालू लाने पर लाभार्थियों को को पीटती है पुलिस…..
शौचालय निमार्ण के बगैर कैसे होगा “खुले में शौचमुक्त श्रावस्ती…..
केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “स्वच्छ भारत – स्वस्थ भारत” को पलीता लगा रही है यूपी है पुलिस….
शौचालय बनवाने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक सहायता पाने के बावजूद भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं श्रावस्ती के गरीब ग्रामीण…..
गरीबों को शौचालय बनवाने के लिए बारह हजार रुपये की आर्थिक सहायता देती है सरकार….
ग्रामीणों को छोड़ने के एवज में सरकार द्वारा मिले आर्थिक सहायता में से हीं पुलिस ने ले लिया रिश्वत….
श्रावस्ती। अगर आप “स्वच्छ भारत – स्वस्थ भारत” योजना के तहत शौचालय निर्माण लाभार्थी हैं और शौचालय निर्माण के लिए बालू लाने जा रहे हैं तो सावधान! आगे पीछे देख लीजिए कहीं पुलिस तो नही आ रही है। ये पुलिस न सिर्फ आपको मारेगी – पिटेगी बल्कि आपके साइकिल और ठेलियों के टायर भी काट देगी, ऊपर से हजार पांच सौ अपनी मेहनताना भी वसूल करेगी।
ये ताजा मामला श्रावस्ती जनपद के सोनवा थाना क्षेत्र के लक्ष्मन नगर पुलिस चौकी का है। आपको बता दें कि कल्यानपुर के कुछ गरीब ग्रामीणों को स्वच्छ भारत – स्वस्थ भारत योजना के तहत शौचालय निर्माण के लिए सरकार द्वारा बारह हजार रुपये का आर्थिक सहायता मिला। जिससे वें शौचालय निर्माण के लिए बालू लेने नदी को चले गये।
बालू लेकर लौट रहे लाभार्थियों पर लक्ष्मन नगर पुलिस ने अवैध बालू खनन का आरोप लगाते हुए जमकर पीट दिया। इतने से भी जब उनका जी नही भरा तो लाभार्थियों के साइकिल और ठेलियों के टायर काट दिए। इतना सबकुछ करने के बाद पुलिस ने अपने मेहनताना के रुप में लाभार्थियों से हजार पांच सौ रुपयों की वसूली भी की।
हद तो तब हो गयी जब लाभार्थियों के साथ मौजूद उनके मासूमों को भी पुलिस के कोपभाजन का शिकार होना पड़ा। इन पुलिस वालों की इंशानियत इस कदर मर चुकी थी कि गरीबों को सरकार द्वारा मिले 12 हजार के आर्थिक सहायता में से हीं हजार पांच सौ रुपये वसूल लिए।
जिले में यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। पुलिस के इस कार्यशैली से शौचालय लाभार्थियों में दहशत का माहौल व्याप्त है। पुलिस की इसी संवेदनहीनता के चलते तमाम लाभार्थियों के शौचालय एंव आवास अधूरे पड़े हुए हैं।
वहीं बसपा विधायक असलम राइनी ने इस घटना की निन्दा करते हुए कहा कि खनन माफियाओं के द्वारा पूरी रात अवैध खनन कराया जाता है जिसपर जिला प्रशासन अंकुश नहीं लगा पा रहा है। और गरीबों को एक बोरी बालू के लिए पीटा जा रहा है।