Patna: कोरोना वायरस से बचाव के लिए तैयार वैक्सीन (CoronaVirus Vaccine) का मानव परीक्षण (Human Trial) पटना के ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS) में बुधवार को शुरू कर दिया गया। इसके लिए एम्स के पांच कर्मियों सहित 20 मरीज कोरोना योद्धा के रूप में आगे आए हैं। मानव परीक्षण के परिणाम अगले 194 दिनों की अवधि में सामने आएंगे। मानव परीक्षण के लिए चुने गए लोगों की स्वास्थ्य जांच व अन्य औपचारिकताएं सोमवार से ही शुरू कर दी गईं थीं। परीक्षण के लिए अब तक सौ से अधिक लोगों के फोन आए हैं, जिनमें से इन लोगों को चुना गया है।
पांच सदस्यीय टीम करेगी अध्ययन
एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सीएम सिंह के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम मानव परीक्षण का अध्ययन करेगी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के दिशा-निर्देश के अनुसार यह अध्ययन 194 दिनों में पूरा होगा। टीम में हिंदुस्तान बायोटेक के सदस्यों के साथ एम्स के डॉ. रवि कीर्ति, डॉ. संजय पांडेय और डॉ. शमशाद शामिल हैं।
कैसे किया जाएगा परीक्षण, जानिए
पहले डोज के बाद दो घंटे तक विशेषज्ञों की पांच सदस्यीय टीम गहन मॉनीटिरंग करेगी। इसके बाद सभी को घर भेज दिया जाएगा। दूसरे और फिर चार दिनों बाद रिसर्च टीम उनके घर जाकर परीक्षण करेगी। यदि सब अनुकूल रहा तो 14 दिनों बाद दूसरा डोज दिया जाएगा। इसमें भी सब सामान्य रहा तो 28 दिन बाद पुन: दवा के प्रभाव-दुष्प्रभाव का आकलन किया जाएगा। इसके बाद 104वें और 194वें दिन रिसर्च टीम पुन: दवा के प्रभाव का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट देगी। यानी 14, 28, 104 और 194 दिनों के अंतराल पर मिली रिपोर्ट आइसीएमआर को भेजी जाएगी। इसी आधार पर वैक्सीन को हरी झंडी दिए जाने का निर्णय लिया जाएगा।
दुष्प्रभाव की आशंका नहीं के बराबर
यह वैक्सीन निष्क्रिय है, इसलिए दुष्प्रभाव की आशंका नहीं के बराबर है। जानवरों पर किए गए प्रयोग में विज्ञानियों को कोई घातक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। फिर भी प्रोटाकॉल के तहत किसी भी प्रकार के जोखिम की स्थिति में हर प्रावधान किए गए हैं।
तीन चरणों में संपन्न होगा परीक्षण
इसके परीक्षण की प्रक्रिया तीन चरणों में संपन्न होगी। प्रथम चरण में 18 से 55 वर्ष तक के देश भर के 375 लोग शामिल होंगे। एम्स, पटना में करीब 50 लोगों को वैक्सीन का हल्का डोज देकर उनकी सतत निगरानी की जाएगी। परिणाम सकारात्मक रहा तो दूसरे चरण में 12 से 65 वर्ष के 750 लोग शामिल होंगे। इनमें एम्स, पटना में करीब 100 लोगों को रैंडमली डबल डोज दिया जाएगा। तीसरे चरण में यह देखा जाएगा कि वैक्सीन से शरीर में किस स्तर का एंटीबॉडी विकसित हुआ है। यदि यह पर्याप्त रहा तो उस व्यक्ति को वायरस के संपर्क में लाया जाएगा। यदि शरीर वायरस से संक्रमित नहीं होता है तो वैक्सीन का उत्पादन शुरू किया जा सकता है।