सर्वेश त्यागी की रिपोर्ट,
घटना रविवार शाम 7 बजे करीब हुआ, बंद पड़ी खदान 80 फीट गहरी थी, जिसमें 20 फीट तक पानी भरा हुआ था। विसर्जन करने उतरे लोगों को इसका अंदाजा नहीं था। गणेश विसर्जन के लिए गुढ़ा-गुढ़ी के नाका के कुछ लोग मेटाडोर में सवार होकर पनिहार के छौंड़ा इलाके में गए थे।

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बताया जाता है कि वहां इन्होंने विसर्जन के लिए तय स्थानों को छोड़कर एकांत जगह चुनी और बंद पड़ी खदान पर जा पहुंचे। यहां ये लोग प्रतिमा लेकर पानी में उतरे। थोड़ी देर में मानसिंह, उसकी पत्नी कुंजा, दोनों बेटे सत्यवीर (14) और करण (15) और गोंठा सिंह के पुत्र दिलीप (15) के साथ मुकेश फिसल कर पानी में जा गिरे।
इनके पीछे खड़े लोगों ने फुर्ती दिखाई और मानसिंह, कुंजा तथा मुकेश को बाहर खींच लिया। जबकि सत्यवीर, करण और दिलीप को नहीं बचाया जा सका। हादसे के बाद हड़बड़ाए लोगों ने पुलिस को सूचना दी। इसके बाद पहुंचे गोताखोरों ने ढाई घंटे की तलाश के बाद तीनों के शव बाहर निकाले।
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दोपहर में घर से नाचते गाते निकले लोगों के बीच मौत की खबर से मोहल्ले में मातम, पारदी मोहल्ले की सड़कों पर जगह जगह बैठे लोगों में तीन बच्चों की मौत की चर्चा और गोंठा सिंह व मानसिंह के घर में रोते बिलखते लोग यह मंजर था खजांची बाबा की पहाड़ी के पारदी मोहल्ले का, जहां गणेश की प्रतिमा विसर्जन के लिये गये बच्चों की मौत की सूचना पहुंचने के बात मातम पसरा हुआ था।
जिस बस्ती में लोग रात 9-10 बजे तक सो जाते थे, वहां रात को 1 बजे भी सैकड़ों लोग दुःखी बैठे हुए थे। दिलीप करन सतवीर और उनके साथियों ने घर घर से चन्दा जुटाकर मोहल्ले में गणेश मूर्ति की स्थापना की थी और रविवार को दोपहर लगभग 3.30 बजे 25-30 लोग नाचते गाते ढोल नगाड़ों के साथ मूर्ति विसर्जन के लिये निकले थे। छौड़ा गांव की खदान पर शाम 5.30 बजे जब मूर्ति विसर्जन की तैयारी चल रही थी, तभी बच्चे डूब गये और 6 बजे के बाद पारदी मोहल्ले में बच्चों की मौत की सूचना पहुंची।
4.4 लाख रुपए मृतकों के परिजनों को मिलेंगे…
पनिहार एसडीएम महिप तेजस्वी ने कहा कि अनुसार मृतकों के परिजन को 4.4 लाख रुपए की सहायता राशि दिलाए जाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा। यह सहायता राशि आरबीसी में हुए संशोधन के फलस्वरूप दी जाएगी। संशोधन के बाद आरबीसी में यह प्रावधान किया गया है कि बरसात के पानी के कारण कोई मौत होती है तो शासन 4 लाख रुपए मुआवजा राशि देगा।
चश्मदीद की जुबानी:-
तैरना आता ही नहीं था, पूरा परिवार खत्म होने से बच गया। खदान में नीचे जाने के बाद हम लोग गणेश मूर्ति की पूजा कर रहे थे तभी दिलीप, करन और सतवीर पुत्र गोंठा पानीमें उतर गये तभी अचानक वह तीनों बचाओं बचाओं चिल्लायें और आवाज सुनकर मानसिंह और उनकी पत्नी कुंजा कूद पड़े।
लेकिन उन्हें भी तैरना करना नहीं आता था सो मोहल्ले में रहने वाले मुकेश ने भी पानी में छलांग लगाई फिर यह तीनों भी चिल्लाने लगे हम सभी लोगों ने मिलकर इन तीनों को बचाया तब तक तीनों बच्चे पानीमें समा चुके थे, मानसिंह का तो पूरा परिवार इस घटना में खत्म हो गया होता, वह तो पति पत्नी बच गये।