लोकसभा 2019 के दौरान सोशल मीडिया पर चुनाव संबंधी पोस्ट व किसी राजनीतिक पार्टी का प्रचार प्रसार न करने से संबधित ‘क्राइम प्रिवेंशन काउंसिल ऑफ इंडिया’ द्वारा जारी एक नोटिस तेज़ी से वायरल हुई है। जनमंच न्यूज़ की रियलिटी चेक टीम नें की इसकी पड़ताल…
जनमंच पड़ताल: गैर सरकारी संस्था यानि एक एनजीओ ‘क्राइम प्रिवेंशन काउंसिल ऑफ इंडिया’ द्वारा जारी एक नोटिस को सोशल मीडिया, खासकर व्हाट्सएप ग्रुप्स में तेजी से शेयर किया जा रहा है।
नोटिस में एनजीओ के क्राइम डिविज़न की ओर से यह दावा किया गया है कि जो लोग आगामी 2019 लोकसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रचार-संबंधी पोस्ट, फोटो, बैनर साझा करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
नोटिस के अनुसार, “फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप यहां तक की वेब पोर्टल और अन्य सोशल नेटवर्क के माध्यम से सोशल मीडिया से जुड़े किसी भी व्यक्ति को 2019 के आगामी चुनावों से पहले चुनाव अभियान से संबंधित पोस्ट, फोटो, बैनर आदि नहीं भेजने चाहिए”।
चुनाव आयोग की विशेष निगरानी टीम द्वारा की जायेगी कार्यावाई…
इस नोटिस में आगे लिखा गया है कि “लोकसभा चुनाव की अधिसूचना के साथ ही आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू हो गई है इसलिए सोशल मीडिया पर चल रहे ग्रुप्स (व्हाट्सएप और फेसबुक ग्रुप्स) के एडमिन को चाहिए कि वो अपने-अपने ग्रुप के मेंम्बर्स को सचेत कर दे कि चुनाव संबंधी पोस्ट शेयर न करे। ऐसा करने वाले व्यक्ति को किसी भी गलत काम के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा।”
नोटिस में आगे कहा गया है कि “चुनाव आयोग की जिला स्तरीय विशेष निगरानी टीम द्वारा कार्रवाई की जा सकती है।”
एनजीओ के लेटरहेड पर जारी इस नोटिस के अंत में डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर के पदनाम के तहत, एनएस चंद्रवंशी द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं।
रियलिटी चेक
हमे यह नोटिस फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप के विभिन्न ग्रुप और शेयरचैट पर लोगो द्वारा डाली गई विभिन्न पोस्ट के जरिए 15 मार्च को मिली। नोटिस को पढ़नें के बाद अपनी कानूनी समझ के बल-बूते हम यह आसानी से समझ गये कि ‘क्राइम प्रिवेंशन काउंसिल ऑफ इंडिया’ या कोई भी एनजीओ इस प्रकार की नोटिस जारी करने के लिये अधिकृत नही है। लेकिन एनजीओ के भ्रामक नाम से सोशल मीडिया से जुड़े लोगो को यह लग रहा था कि यह नोटिस क्राईम ब्रॉच से संबधित कोई डिविज़न या डिपार्टमेंट है जिसके अधिकारी द्वारा इसे जारी किया गया है। सोशल मीडिया पर लोगो के भ्रम को दूर करने के लिये इस नोटिस का खुलासा हमारे लिए जरूरी हो गया और फिर हमने इसका रियलिटी चेक किया।
भ्रामक नोटिस
जनमंच टीम नें एनजीओ ‘क्राइम प्रिवेंशन काउंसिल ऑफ इंडिया’ के बारे में उसकी वेबसाईट से पता किया। इस एनजीओ के अध्यक्ष डा० एसके पांडे है, जिनसे हमने उनके एनजीओ के लेटरहेड पर जारी की गई नोटिस की वैद्यता और अधिकार के बारे में स्पष्टिकरण मांगा।
जनमंच न्यूज़ की रियलिटी चेक टीम से बात करते हुए, क्राईम प्रिवेंशन काउंसिल ऑफ इंडिया एनजीओ के अध्यक्ष डा० एसके पांडे ने कहा कि नोटिस भ्रामक है, एनजीओ के जिस अधिकारी ने इसे पब्लिकली जारी किया उसनें एनजीओ के किसी वरिष्ठ पदाधिकारी के परामर्श के बिना ही यह काम कर डाला जोकि पूरी तरह से गलत और भ्रामक है।
डा० पांडे ने स्पष्टिकरण दिया कि “नोटिस हमारे NGO के लेटरहेड पर जारी किया गया था, लेकिन नोटिस की सामग्री पर विश्वास नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह एक अधिकारी द्वारा जारी किया गया था जिसने NGO के वरिष्ठ सदस्यों से बिना किसी परामर्श के ही व्हाट्सएप पर भेजा था।”
“एक एनजीओ के रूप में, हम केवल सार्वजनिक सेवा की घोषणा करने की पेशकश कर सकते हैं और लोगों को राजनीतिक रूप से जागरूक बनने में मदद कर सकते हैं। हम इस तरह के निर्णय को बाध्य नहीं कर सकते हैं, जो तय करें कि सोशल मीडिया पर क्या शेयर करें और क्या नही करें”, उन्होंने कहा कि यह काम किसी गैर सरकारी संगठन के एक डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर के अधिकार में नही है। इस तरह की नोटिस जारी करने का अधिकार केवल चुनाव आयोग के पास है।
बताते चलें कि चुनाव आयोग द्वारा सोशल मीडिया को लेकर यह कहा गया था कि आचार संहिता लागू होने के बाद से चुनाव के समाप्त होने तक इंटरनेट के जरिए किसी ऐसी पोस्ट, वीडियो, फोटो को शेयर नही किया जा सकता जो मतदाता के दिमाग को प्रभावित करती हो या जिससे उसके निर्णय लेने के क्षमता पर प्रभाव पड़ता हो। इस तरह की भडकाऊ पोस्ट डालने वालों के खिलाफ चुनाव आयोग कार्यावाई करेगा।
किसी पार्टी या उम्मीदवारों के प्रचार प्रसार के लिये किये गये पोस्ट, फोटो या वीडियो पर किसी प्रकार की कोई रोक नही है, केवल मतदाताओं को प्रभावित करने वाली सामाग्री को शेयर कराने पर प्रतिबंध है। कोई गैर सरकारी संगठन या एनजीओ को ऐसी कोई भी नोटिस जारी करने का अधिकार बिल्कुल नही है।
डॉ० पांडे ने कहा कि एनजीओ के डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर को नोटिस जारी करने के लिए निलंबित कर दिया गया है।