पूरा जिला सूखे के चपेट में है. जलस्तर नीचे चले जाने के कारण जंहा पहली बार जिले में पानी के एक एक बूंद को लेकर आमजन हलकान है. वंही इस हालात में बेजुबान जानवर की कैसे प्यास बुझाये लोग?
समस्या यह है की जिले के लगभग सभी ताल पोखर पूरी तरह सूख चुके है. पालतू पशुओं को तो किसी तरह पशुपालक प्यास बुझा रहे. लेकिन, अन्य बेजुबान इन पशु पक्षियों का तो अब भगवान ही मालिक है. सड़को पर जानवर प्यास से हलकान है.
कुछ जगहों पर तो नालों के गन्दे पानी ही इनके जीवन का सहारा बना हुआ है. लेकिन, कई जगहों पर तो वह भी इन बेजुबानों को प्यास बुझाने को नही मिल रहा. अगर कुछ दिनों तक यही हाल रहा तो, सड़कों पर पानी के बिना इन बेजुबान जानवरों का मौत संभव है. इतना ही नहीं पालतू पशुओं का भी अधिक दिनों तक कैसे बचाये इस बात को लेकर भी पशुपालक चिंतित है.
पशुपालकों ने कही ये बाते-
प्रकृति का प्रकोप बताने को काफी है कि अगर गर्मी का हाल यही रहा, तो यह बेजुबान सडकों पर दम तोड़ने लगेंगे. जानकारों के अनुसार यैसी गर्मी में बड़े पशुओं को 70 से 80 लीटर पानी एक दिन में चाहिए. वंही छोटे जानवरो को भी कम से कम 10 से 20 लीटर पानी की जरूरत होती है. यही नहीं कई पालतू पशु को अगर यैसी भीषण गर्मी में दो वक्त पानी से नहीं नहाया जाए, तो वह इस मौसम को नहीं बर्दाश्त कर सकते है.
पशु चिकित्सक का ये है कहना-
बहरहाल अब इन बेजुबानों का रक्षा कैसे हो इसको लेकर सभी को गंभीर होना होगा. खासतौर पर ऐसे पशु पक्षियों को इस मौसम में बचाने को लेकर हम सभी को अपने अपने घरों के बाहर पानी का कुछ व्यवस्था इन बेजुबानों के लिए करने की जरूरत है, नहीं तो शायद इस गर्मी ये बेजुबान अब दम तोड़ने लगेंगे