“बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद को भी कोर्ट से बाहर आपसी सहमती से निपटानें की दी सलाह”…
शबाब ख़ान,
नई दिल्ली: ऐसे समय में जब मुस्लिम समुदाय का सुन्नी वर्ग गोवध और तीन तलाक पर सरकार की सख्ती को लेकर हायतौबा मचा रहा है, व असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं के बहकावें में आकर सरकार विरोधी गतिविधियों में बढ़ चढ़ कर भाग ले रहा है, AISPLB यानि ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से एक फ़तवा जारी किया गया है।
फ़तवे में शिया मुस्लिमों को निर्देशित किया गया है वो किसी सूरत में गाय के कत्ल में किसी भी तरह से भागीदार न बने, और न ही गाय के मांस को छुएं, यदि वे ऐसा करेगें तो इस्लामिक दृष्टि में हराम माना जाएगा। बोर्ड के प्राव्क्ता नें कहा कि गाय का वध करना शरियत के हिसाब से गैर इस्लामी है। सबसे बड़ी बात कि यदि कोई चीज करने की इजाज़त मुल्क का कानून नही देता तो उस काम को करना इस्लाम की नजर में भी गुनाह माना जाता है।
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड नें एक फोरम बनाकर नई दिल्ली से यह फतवा जारी किया है। जिसमें तीन तलाक के प्रचलन की भी घोर निंदा की गई है। ज्ञात हो कि मुस्लिम समुदाय का शिया वर्ग पहले से ही तीन तलाक प्रक्रिया के खिलाफ रहा है। फतवें में कहा गया है कि यदि कोई शिया अपनी स्त्री से तीन बार तलाक कहता है तो उसका कोई मतलब ही नही माना जाएगा। शादी किसी शब्द को तीन बार कह देने भर से नही टूटेगी।
इस फतवे की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें कहा है कि बाबरी मस्जिद विवाद को हिंदु और मुस्लिम समुदाय का सुन्नी वर्ग कोर्ट के बाहर आपसी सहमती से निपटा ले। विदित हो कि बाबरी मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड के अतंर्गत आती है, इसलिए शिया वर्ग हमेशा से बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद से अपने को अलग रखता है।
प्रावक्ता श्री याकूब अब्बास नें कहा कि यह फतवा इराक में शियाओ के सर्वोच्च धर्म गुरू मौलाना अयातुल्लाह शेख बशीर हुसैन नजफी से सलाह लेकर जारी किया गया है।