पटना। इसी सप्ताह राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावना है. इसमें सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले को पूरी तरह लागू किया जायेगा. सभी वर्गों से मंत्री बनाये जायेंगे. भाजपा और जदयू की तरफ से इसकी तैयारी अंतिम चरण में है.
अब इन पर अंतिम रूप से मुहर लगने का इंतजार है. फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार में देरी के कारणों के बारे में दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं ने किसी भी विवाद होने से मना किया है. इसके बावजूद मंत्रिमंडल विस्तार में देरी के पीछे के प्रमुख कारणों में मंत्रियों की संख्या में तालमेल पर पेच फंसना बताया जा रहा है.
सूत्रों का कहना है कि फिलहाल सरकार के 44 विभागों में से 20 जदयू, 21 भाजपा, दो हम और एक वीआइपी के पास है.
विधानसभा की 243 सीटों के हिसाब से बिहार सरकार में कुल 36 मंत्री बन सकते हैं. वहीं, मुख्यमंत्री को छोड़कर फिलहाल 13 मंत्री हैं. ऐसे में 23 नये मंत्रियों के बनने की संभावना है.
सियासी गलियारों में चर्चा है कि भाजपा और जदयू में 50:50 पर मंत्रियों के बंटवारे की सहमति बन गयी है. हालांकि, दूसरी चर्चा यह भी है कि भाजपा 36 में 22 मंत्री अपना चाहती थी और जदयू कोटे से 14 मंत्री बनाये जाने थे. इसी पर सहमति का इंतजार था.