
शिखा प्रियदर्शिनी
धर्म डेस्क। 21 अगस्त, 2017 को सूर्य ग्रहण लगेगा। हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण को अशुभ माना जाता है। इसे सूतक काल भी कहा जाता है।
आइये जानते हैं ये ‘सूतक काल’ है क्या…
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूतक काल के दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है। सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले और ग्रहण के 12 घंटे बाद के समय को सूतक काल कहा जाता है। इस दौरान मंदिरों के द्वारा भी बंद रहते हैं और वहां पूजा और प्रार्थना भी नहीं की जाती है। हमारे सनातन धर्म में इसकी तुलना अंतिम क्रियाकर्म संस्कार से की गई है।
आइये जानते हैं ग्रहण लगने पर किन बातों पर ध्यान रखना अनिवार्य है…
सूर्य ग्रहण की शुरुआत से लेकर अंत तक आपको मंत्रों का उच्चारण, ध्यान, प्रार्थना और हवन करना है। हालांकि, इस दौरान मूर्ति पूजा नहीं करनी चाहिए। सूतक काल के समाप्त होने पर स्नान करें और नए वस्त्र धारण कर भगवान की मूर्तियों पर गंगाजल छिड़कें। इस दौरान आपको कुछ भी खाने, पकाने, शौच और सोने जैसे अन्य कार्य नहीं करने चाहिए। सूर्य ग्रहण के दौरान गायत्री मंत्र या अपने गुरु के मंत्र का जाप करें। मंदिर में दीपक या दीया भी प्रज्वलित करें।

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सूर्य ग्रहण के बाद स्नान कर नए वस्त्र धारण करने चाहिए। ग्रहण के बाद पूर्वजों को श्रद्धांजलि दें और गरीबों एवं जरूरतमंदों को दान दें। ग्रहण के पश्चात् ये कार्य करना शुभ माना जाता है।
जो लोग सूर्य ग्रहण के प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं वे ग्रहण की शुरुआत और अंत पर स्नान जरूर करें। ग्रहण के मध्य अंतराल में ध्यान करना ना भूलें। ग्रहण के अंत में दान करना शुभ माना जाता है।
आइये जानते हैं की सूर्य ग्रहण के दौरान किन मन्त्रों का जाप शुभ और फलदायी साबित होगा…
सूर्य ग्रहण के दौरान आप किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं। सूर्य मंत्र का जाप करना भी शुभ फलदायी रहता है। इसके अलावा महामृत्युंजय मंत्र के उच्चारण से भी जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
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