बाहं में काली पट्टी बांधकर आगरा के उद्योगों को बचाने के नारे लगाते हुए और हाथो में तख्तियां लेकर उद्यमियों ने सूरसदन तिराहे से एमजी रोड, यूथ हॉस्टल होते हुए शहीद स्मारक पहुंचे। जहां एक सभा का आयोजन किया गया और आगरा के उद्योगों को सिर्फ व्हाइट श्रेणी के ही उद्योग लगने पर अपनी तीखी प्रतिक्रियाएं दी।
व्यापारियों का कहना था कि ताज को बचाने के लिए आगरा के सभी उद्योगों को उजाड़ देना ठीक नही है। “ताज हमारी शान है तो उद्योग भी हमारी जान है” व्यापारियों ने कहा कि गलती किसी की हो और सजा किसी को मिले यह इंसाफ नही है।
वहीं संस्था के पदाधिकारियों का कहना था 2014 की रोक के बाद आगरा में कोई भी प्रदूषणकारी फैक्ट्री नहीं लगाई जा रही है तो वहीं 2016 में टीडीसैट प्राधिकरण ने टीटीजी क्षेत्र में नए उद्योगों की स्थापना और गैस प्रदूषणकारी इकाइयों को लगाने पर भी रोक लगा दी। जिसके कारण ₹27000 करोड़ का निवेश खतरे में पड़ चुका है। वहीं बेरोजगारी लगातार बढ़ती चली जा रही है।
साथ ही लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष राकेश गर्ग ने तर्क दिया कि बेवजह उद्योगों पर प्रदूषण का कलंक लगाया जा रहा है। यदि शिक्षण संस्था से इसकी जांच हो तो स्थिति साफ हो जाएगी।
इतना ही नहीं लोगों ने तो याचिकाकर्ता एम सी मेहता पर भी तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं। शहीद स्मारक पर हुई सभा के बाद सभी उद्यमियों ने उद्योगों को बचाए जाने की मांग को लेकर पीएम को संबोधित ज्ञापन एडीएम सिटी के पी सिंह और एससी आयोग के अध्यक्ष रामशंकर कठेरिया को सौंपा और इस मामले में उचित कदम उठाए जाने की मांग की।