संगठित अपराध की कसेगा नकेल यूपीकोका, उम्रकैद से लेकर 25 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान, फांसी भी हो सकती है कानून के तहत…

शबाब ख़ान (वरिष्ठ पत्रकार)
लखनऊ: मायावती ने अपनें समय में जिस कानून का मसौदा तैयार कर विधानभवन में मंजूरी के लिए पेश किया था, मकोका की तर्ज पर बनाये गए यूपीकोका विधेयक को आज सदन में पास कर दिया गया। हालांकि, इसी कानून का विरोध सपा, भाजपा ने तब किया था जब बसपा सरकार ने इसे लागू करना चाहा था।
बीते सप्ताह योगी कैबिनेट की बैठक में यूपीकोका को मंजूरी मिल गई थी। यूपी कैबिनेट की मंजूरी के बाद UPCOCA (Uttar Pradesh Control Of Organised crime) के प्रस्ताव को विधानसभा सत्र में पेश कर विधानभवन के दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद उसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजे जानें का फैसला पहले ही हो गया था।
इस बिल को आज विधानभवन में पेश किया गया। यूपीकोका को विपक्षी दलों ने ‘काला कानून’ का नाम देते हुये इसका जबरदस्त विरोध किया। बाद में विधेयक में कुछ संशोधन की बात भी विपक्ष नें रखी जिसे नकार दिया गया। जिस पर विधेयक को गरीबों, पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों व पत्रकारों का उत्पीड़न करने वाला बताते हुए नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने अपने दल के साथ सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया। सपा के बाद कांग्रेस व बसपा ने भी विधेयक को जनविरोधी करार देते हुए सदन से बहिर्गमन किया। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि विपक्ष विधेयक के प्रावधानों की गलत व्याख्या कर रहा है।
गुंडों और संगठित अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ आर्गेनाइज्ड क्राइम (यूपीकोका ) एक सख्त कानून है। यूपीकोका लागू होने के बाद संगठित अपराध पर लगाम लगाई जा सकेगी। संगठित अपराध की श्रेणी में रंगदारी, ठेकेदारी में गुंडागर्दी, गैरकानूनी तरीके से कमाई गई संपत्ति भी शामिल होगी। इस कानून के लागू हो जाने के बाद अवैध संपत्ति को जब्त किया जा सकेगा। संगठित अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें बनाई जाएंगी। प्रदेश के गृह सचिव राज्य स्तर पर इसकी निगरानी की जाएगी।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने विधेयक पर विपक्ष की आपत्तियों को खारिज करते हुए सदन में विधेयक पारित करने का प्रस्ताव रखा जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया।
इससे पहले विधेयक को विचार के लिए रखते हुए सीएम योगी ने कहा कि विपक्षी दल सर्वाधिक वॉकआउट कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर करते हैं, फिर यूपीकोका का विरोध क्यों? हम गारंटी देते हैं कि भाजपा ने किसी कानून का न तो दुरुपयोग किया है और न ही करेगी।
विपक्षी नेताओं की तरफ से उठ रही आवाज का जिक्र करते हुए योगी ने कहा कि अपराध गरीब और कमजोर नहीं करते। यूपीकोका से उन लोगों को चिंतित होने की जरूरत है जो अपराधियों को संरक्षण देते हैं। इससे अपराधियों का सिंडिकेट ध्वस्त किया जाएगा।
अपराध, राजनीति और प्रशासन के घिनौने गठजोड़ ने प्रदेश को बहुत पीछे किया है। नौजवानों को बेरोजगार किया है, व्यापारियों को पलायन के लिए मजबूर किया है। न्यायालय ने भी कई बार राजनीति के अपराधीकरण पर टिप्पणी की है। यूपीकोका से हम अपराधी, नेता व अफसरों के बीच बने घिनौने गठजोड़ को तोड़ेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपीकोका जैसा कानून महाराष्ट्र और कर्नाटक में पहले से है। हमने इसे और बेहतर बनाया है। रेंज के आईजी/डीआईजी और कमिश्नर के अनुमोदन के बाद यूपीकोका की एफआईआर दर्ज होगी। इसकी विवेचना इंस्पेक्टर करेगा और चार्जशीट जोन में तैनात एडीजी/आईजी की स्वीकृति के बाद अदालत में दाखिल की जाएगी। कर्नाटक में प्रावधान है कि जिसने 10 साल के भीतर अपराध किया हो, वह कर्नाटक कोका के दायरे में आएगा, यूपीकोका में पांच साल के अपराध की सीमा रखी गई है।
मृत्युदंड का प्रवाधान…
योगी ने कहा कि यदि कोई सजायाफ्ता अपराधी दुबारा अपराध करेगा तो यूपीकोका में उसकी सजा के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है। वहीं, बचाव के लिए जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में, प्रदेश स्तर पर प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में प्राधिकरण रहेगा। तीसरा प्राधिकरण सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में रहेगा।