जिसका परिणाम है कि गांव के गरीब किसान मजदूरों को गांव के झोला छाप डॉक्टर के सहारे लुटने को विवश हैं। यहां तक की केन्द्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी टीकाकरण भी बंद हो गया है। कुछ ऐसी हीं स्थिति सदर प्रखंड के पश्चमि भाग के लेदा में स्थित स्वास्थ्य उप केन्द्र की है। जहां स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य उप केन्द्र तो स्थापित कर दिया है।
लेकिन सिर्फ नाम के लिए केन्द्र में न डॉक्टर हैं, ना हीं एएनएम। जिसका खमियाजा हमेशा यहां के ग्रामीणों को भुगतना पड रहा है। सबसे हास्यप्रद की बात तो यह है कि लेदा स्वास्थ्य उप केन्द्र में डॉक्टर व एएनएम नहीं है। लेकिन वर्तमान समय में राज्य सरकार द्वारा आरम्भ किया गया 108 ऐम्बुलेंस सुविधा उपलब्ध है। यह अब अनुमान लगाने की बात है कि केन्द्र में एएनएम व डॉक्टर नहीं है तो फिर ऐम्बुलेंस किस काम का होगा।
मालूम हो कि आठ माह पूर्व राज्य सरकार के निर्देश पर लेदा पंचायत को मॉडल व आदर्श पंचायत के रूप में विकसित करने के लिए तत्कालिन उप विकास आयूक्त किरण पासी द्वारा बडी हीं ताम झाम के साथ लेदा में दो दिवसीय विकास मेला का आयोजन कर पंचायत को गोद लिया गया था।
कार्यक्रम के दौरान उप विकास आयूक्त द्वारा मंच से ऐलान किया गया थाकि लेदा पंचायत को स्वास्थ, शिक्षा, यातायात पेयजल यादि सुविधायों से सुसज्जित किया जाऐगा। जिससे लेदा पंचायत के ग्रामीणों को लगा था कि अजादी के बहतर वर्ष बाद हीं सही लेकिन अब लेदा पंचायत को हर सरकारी सुविधा अपने हीं पंचायत में आसानी से मिल पाऐगा। लेकिन ग्रामीणो की वह अरमान कुछ हीं माह में धाराशाही होता देख रहा है। जिससे ग्रामीणों को सरकारी विभाग के पदाधिकारीऔं की बातें से भी भरोसा उठने लगा है।
स्थानिय ग्रामीण सह झारखंड विकास युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष राजेश कुमार दास ने कहा कि इस क्षेत्र की जनता को भाजपा सरकार द्वारा पूर्ण रूप से मौत की खाई में धकेलने का काम किया जा रहा है। इस क्षेत्र में गरीब ग्रामीणों की संख्या लगभग बीस हजार के करीब है पूरी आबादी के लगभग 90 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले लोग है।
जिला मुख्यालय से दूरी होने के कारण ज्यादातर लोग सदर अस्पताल समय पर नही पहुंच पाते है जिस कारण अधिकतर गर्भवती महिलाओं की जिंदगी खतरे में रहती है। इस केंद्र को बंद हो जाने से बच्चों तथा महिलाओं में टीकाकरण बाधित हो गया है।
सिंदवरिया पंचायत के पंचायत समिती सदस्य प्रयाग प्रसाद बर्मा द्वारा बताया जाता है कि राज्य सरकार भले हीं योजनाऐं हजार निकाल दे लेकिन वह सिर्फ अमीरों के लिए होता है। कभी भी गरीबों की भलाई के प्रति सरकार चिंतित नहीं रहती है। जिसका ताजा उदाहरण है लेदा जहां सरकार द्वारा केन्द्र तो बना दिया गया। लेकिन केन्द्र में न तो डॉक्टर हैं न एएनएम जिसके कारण ग्रामीणों को स्वास्थ सुविधा से महरूम रहना पड़ रहा है।
लेदा स्वास्थ्य उप केन्द्र में पूर्व में एक एएनएम भी प्रतिनियूक्त थी। जिसके भरोसे टीकाकरण का काम हो जाता था लेकिनस्वास्थ्य विभाग द्वारा उसका भी लेदा से स्थानंतरण कर दिया गया है। जिसके कारण पंचायत के ग्रामीणों को पुरी तरह स्वास्थ सुविधा से वंचित कर दिया गया है । जिला प्रशासन को ईस पर पहल करने की आवशकता है, नहीं तो बाध्य होकर ग्रामीणों को आंदोलन का रूख अपनाना पड़ेगा।